लेखनी डायरी- 26-12-2021 सितम्बर
26/12/2021- सितंबर
सास के मामले में काफी खुशकिस्मत रही हूँ मैं। भगवान हमारे रिश्ते को बुरी नज़र से बचाए। उन्होंने कभी भी मुझ पर व्रत, त्यौहार, रीतिरिवाजों को लेकर जोर नहीं डाला। हालांकि पति का दबाव महसूस होता है कभी-कभी लेकिन अब उनको भी समझा चुकी हूँ कि मेरा पूजा-पाठ का तरीका अलग है, वो भी अब समझ चुके हैं यह अच्छी बात है। मैं सिर्फ करने के लिए या फिर किसी को खुश करने के लिए कोई भी काम नहीं करती। मेरे लिए भावनात्मक जुड़ाव जरुरी है।
मैं नहीं चाहती पूजा पाठ सिर्फ शारीरिक श्रम बनकर रह जाए। ईश्वर मेरे पिता हैं और पिता के साथ कैसा रिश्ता होता है....एकदम सच्चा, बिना किसी लाग-लपेट वाला। इसलिए जब मन करता है तभी पूजा पाठ करती हूँ। मुझे रंगोली बनाना नहीं आता और मजे की बात यह है कि मेरी सास को भी नहीं आता। गाँव में सभी लोग साड़ी पहनते हैं लेकिन मैं सूट ही पहनती हूँ। इसके लिए भी कभी टोका नहीं। वो इतनीं अच्छी हैं कि जब भी कहीं साड़ी पहनकर जाना होता है तो झट से पड़ोस से किसी को भी बुलाकर ले आतीं है मुझे साड़ी पहनाने के लिए और फिर मुझे साड़ी में देखकर कहतीं है....छान दिस्ति माझी सून यानि कि मेरी बहु अच्छी लग रही है।
अपने पति से और उनसे मैं बेझिझक बात कर सकतीं हूँ लेकिन बाकियों के आगे मैं चुप ही रहतीं हूँ। वैसे गाँव के बाकी लोग भी अच्छे हैं। कुछ लोगों के साथ आप एकदम से जुड़ जाते हैं बिना किसी तामझाम के और कुछ लोगों के लिए कुछ भी कर लो, रिश्ते में मधुरता आ ही नहीं पाती, सिर्फ औपचारिकता रह जाती है।
कल मिलते हैं।
❤सोनिया जाधव
#दायर
Zeba Islam
26-Dec-2021 06:39 PM
Nice
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Zakirhusain Abbas Chougule
26-Dec-2021 11:08 AM
Nice
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Ali Ahmad
26-Dec-2021 10:31 AM
बिल्कुल सही कहा है, मुखौटा जिंदगी दूभर बना देता
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